==> मोदीजी के पास दो विकल्प थे, 1) सरकारी तंत्र , 2) लोकलुभावना तंत्र <<==
मित्रो 100% में से 99% लोग कहते है की राजनीती एक धन्दा है राजनीती या राजनेता ने कभी किसी गरीव का भला नही किया जिसमे में में भी एक था, लेकिन मोदी जी के राजनेतिक कार्यो कूटनीति चाल और देश व समाज के प्रति भागीदारी को देखते हुए मेरा राजनेतिक नजरिया बदल गया है मेरा मानना है की राजनीती नेक इरादों के साथ की जाये तो हर काम सही और हर बर्ग को फ़ायदा होता है
1) सरकारी तंत्र : - एक तो ये कि वो क्रमबद्ध तरीके से सरकारी तंत्र को सही करते जिससे कि देश के लोगों को लंबे समय तक इसका लाभ हो। जिसे हर बर्ग के लोगो को लाभ मिले निबेस, रोजगार और काम धन्दो की कोई कमी न हो |
जबकि दूसरा विकल्प यह था वे सरकार को मिले प्रचंड बहुमत के बाद लोकलुभावनी योजनाएँ शुरू कर सुर्खियां बटोरते।
2) लोकलुभावना तंत्र :- दूसरा विकल्प काफी आसान था और जनता इसकी आदी हो चुकी थी। जेसे जनता को लोकलुभावनी योजनाएँ फ्री का रासन, बिजली, पानी और सभी को आरछण देके जनता को लुभाब्ने वादे करके 5 साल खूब सुर्खियां बटोरते।

लेकिन मोदीजी ने पहला विकल्प चुना। सरकारी तंत्र को दुरुस्त और मजबूत करने का काम शुरू किया।
उन्होने देश हित में देश को मजबूत करने के लिए जो सबसे सही था वही किया और कर रहे हैं।
अब हमारे ऊपर है कि हमें हमारा भविष्य सुद्रण चाहिए, हमारे देश का विश्व पटल पर सर्वोच्च स्थान चाहिए या अभी के अभी पेट्रोल 40 रुपये चाहिए और बाद में मंदी के समय कार बेचनी पड़े ऐसी नौबत चाहिए।
मोदीजी के नेतृत्व में हमारा देश विश्वगुरु बनकर रहेगा और मैं पूर्ण विश्वास और आस्था के साथ मोदीजी से जुड़ा रहूँगा।
मित्रो अपनी राय जरुद दे तभो तो जनता और आप को सहयोग का पता चलेगा |
" जय हिन्द जय भारत "
मित्रो 100% में से 99% लोग कहते है की राजनीती एक धन्दा है राजनीती या राजनेता ने कभी किसी गरीव का भला नही किया जिसमे में में भी एक था, लेकिन मोदी जी के राजनेतिक कार्यो कूटनीति चाल और देश व समाज के प्रति भागीदारी को देखते हुए मेरा राजनेतिक नजरिया बदल गया है मेरा मानना है की राजनीती नेक इरादों के साथ की जाये तो हर काम सही और हर बर्ग को फ़ायदा होता है
1) सरकारी तंत्र : - एक तो ये कि वो क्रमबद्ध तरीके से सरकारी तंत्र को सही करते जिससे कि देश के लोगों को लंबे समय तक इसका लाभ हो। जिसे हर बर्ग के लोगो को लाभ मिले निबेस, रोजगार और काम धन्दो की कोई कमी न हो |

2) लोकलुभावना तंत्र :- दूसरा विकल्प काफी आसान था और जनता इसकी आदी हो चुकी थी। जेसे जनता को लोकलुभावनी योजनाएँ फ्री का रासन, बिजली, पानी और सभी को आरछण देके जनता को लुभाब्ने वादे करके 5 साल खूब सुर्खियां बटोरते।

लेकिन मोदीजी ने पहला विकल्प चुना। सरकारी तंत्र को दुरुस्त और मजबूत करने का काम शुरू किया।
उन्होने देश हित में देश को मजबूत करने के लिए जो सबसे सही था वही किया और कर रहे हैं।
अब हमारे ऊपर है कि हमें हमारा भविष्य सुद्रण चाहिए, हमारे देश का विश्व पटल पर सर्वोच्च स्थान चाहिए या अभी के अभी पेट्रोल 40 रुपये चाहिए और बाद में मंदी के समय कार बेचनी पड़े ऐसी नौबत चाहिए।
मोदीजी के नेतृत्व में हमारा देश विश्वगुरु बनकर रहेगा और मैं पूर्ण विश्वास और आस्था के साथ मोदीजी से जुड़ा रहूँगा।
मित्रो अपनी राय जरुद दे तभो तो जनता और आप को सहयोग का पता चलेगा |
" जय हिन्द जय भारत "
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